दुनिया की सबसे ऊंची बिलासपुर-मनाली-लेह रेलवे लाइन पर चलने वाली रेलगाड़ी के कोच हवाई जहाज के केबिन जैसे होंगे। चीन की सीमा के करीब से गुजरने वाले इस ट्रैक पर रेलवे प्रेशराइज्ड कोच के इस्तेमाल पर विचार कर रहा है। इससे यात्रियों को ऊंचाई पर कम ऑक्सीजन वाले क्षेत्रों से ट्रेन के गुजरने पर सांस लेने में दिक्कत नहीं होगी।
उत्तर रेलवे के चीफ इंजीनियर डीआर गुप्ता के मुताबिक इस तकनीक का इस्तेमाल विमानों के केबिन बनाने में किया जाता है। प्रेशराइज्ड तकनीक से केबिन के भीतर ऑक्सीजन का स्तर बनाए रखने में मदद मिलती है। समुद्र तल से पांच हजार फीट से ज्यादा ऊंचाई पर यात्रियों को ऑक्सीजन की कमी महसूस न हो, इसलिए रेलवे विशेष दबाव वाली रोलिंग स्टॉक तकनीक का इस्तेमाल इन कोचों में करेगा।
देश में पहली बार इस तरह के प्रेशराइज्ड कोच का इस्तेमाल होगा। इस तरह के कोच अभी सिर्फ चीन में क्वीनग्हे-तिब्बत रेल मार्ग पर इस्तेमाल होते हैं। डीआर गुप्ता ने कहा कि भारतीय रेलवे ऐसे कोच बनाने के लिए कनाडा की कंपनी बॉमबार्डियर इंक से बात कर सकता है। इस कंपनी ने ही चीनी रेलवे के कोच डिजाइन किए हैं। हालांकि अभी स्पष्ट नहीं है कि कोच का निर्माण भारत में होगा या बाहर से कराया जाएगा।
दो तरह के सिस्टम

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